मध्य प्रदेश, ग्वालियर डायरीज: MP के जबलपुर में स्थित अधारताल जलाशय के निकट एक 1100 वर्षो पुरानी माता Mahalaxmi की पचमठा मंदिर है। जहां दीपावली के पावन अवसर पर पूरे 24 घंटे लगातार अनुष्ठान चलता है। यह मंदिर तांत्रिको के लिए बेहद ही खास है, क्योंकि यह मंदिर तंत्र क्रियाओ के लिए प्रख्यात है।
माता का रंग बदल जाती है
- यह मंदिर बेहद ही विशेष है, यहां हर सुबह सूर्य देव की पहली किरण सीधे माता के चरणों पर पड़ती है। माता की प्रतिमा का रंग पूरे दिन में तीन बार बदल जाता है:
- सुबह के समय माता की प्रतिमा सफेद
- दोपहर के समय यही प्रतिमा पीली
- तथा संध्या होते होते यह नीली पड़ जाती है।
- इस तरह यह प्रतिमा एक ही दिन में 3 बार अपना रंग बदल लेती है।
मंदिर की बनावट
- यह मंदिर की संरचना श्रीयंत्र के आधार पर की गई है, जिसके अनुसार चार दिशाओं में चार प्रवेश द्वार बने हुए है।
- मंदिर की गर्भगृह में श्री विष्णु चक्र (सुदर्शना चक्र) भी बना हुआ है।
- सबसे आकर्षण का केंद्र मंदिर अष्टकमल पर है।
- मंदिर के कुल 12 खंभे है जो की 12 राशियों को प्रदर्शित करती है।
- साथ ही ग्रहों के लिए 9 ग्रह भी स्थापित है।
- मंदिर के प्रवेश द्वार पर हातिया और योगनिया भी है।
मंदिर ने झेला है मुगल ओरंगजेब की क्रूरता
- मंदिर के प्रवेश द्वार पर बनी योगनिया को ओरंगजेब की सेना ने तोड़ दी थी।
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दीपावली पर होती है विशेष पूजा
दीपावली के दिन सुबह 4 बजे से माता महालक्ष्मी की पूजा आरंभ कर दी जाती है। और इस दौरान माता का अभिषेक दूध, दही, इत्र, पंचगव्यय इत्यादि से की जाती है, जो 7 बजे तक चलता है। श्रृंगार का कार्यक्रम ठीक इसके बाद किया जाता है, और दोपहर को होने वाली महाआरती की प्रबंध कर लिया जाता है। रात्रि के 1 बजे पंचमेवा से माता की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। ठीक इसके बाद भगवान कुबेर की पूजा की जाती है। जिसके बाद माता को आहूतियांं देकर मंत्रो, यंत्रों की सहायता से सिद्धि की जाती है। यह पूजा दीपावली के दूसरे दिन सुबह 6 बजे तक चलती है।
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साधना का केंद्र कहे जाने वाले इस मंदिर की मान्यता है की अगर एक माला की सिद्धि की जाए तो 1000 माला की सिद्धि प्राप्त होती है। यहां आने वाले भक्तो की सच्चे ह्रदय से मांगी गई सारे मनकामना भी पूरी होती है।
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