ग्वालियर न्यूज, ग्वालियर डायरीज: ग्वालियर की रहने वाली डॉ. उमा तुली, जिन्होंने अपना जीवन दिव्यांग के लिए समर्पित कर दिया, उनका परिचय पूरे देश भर में दिव्यांग को एक अच्छी जिंदगी देने तथा उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने इसकी शुरुवात लगभग 1982 में की थी एक पेड़ के नीचे की थी, उस समय उनके पास 30 बच्चे थे।
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बाद में उन्होंने ‘अमर ज्योति संस्था’ के नाम से एक संस्था बनाई जो पूरी तरह से दिव्यांग के लिए है जहां उन्हें पढ़ाई, स्किल डेवलपिंग, खेल कूद आदि की ज्ञान दिया जाता है। यह संस्था ग्वालियर के गंगा मालनपुर शर्मा फार्म रोड पर स्थित है जो बच्चो के उज्वल भविष्य के लिए कार्यविर्त है।
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पद्मश्री अवॉर्डी डॉ. उमा तुली की संस्था में वर्तमान के समय में 300 से भी अधिक बच्चे है। इस वर्ष आयोजित टोक्यो पैरालंपिक के वाटर स्पोर्ट्स में सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाने वाली प्राची यादव (निवास स्थान : ग्वालियर के आनंद नगर) भी इसी संस्था से निकली है। इसी संस्था के मदद से प्राची ने अपनी पढ़ाई लिखाई की तथा आगे स्पोर्ट्स में उनकी रुचि इसी संस्था में जगाई, यहां तक की उपयुक्त ट्रेनिंग भी मुहैया कराई।
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सबसे बड़ी बात प्राची अकेली ऐसी नही है, ऐसे कई लोग है जो इस संस्था से जुड़े है और अब अपने पैरो पर खड़े है। इस संस्था ने कईयों का भविष्य संवारा है। इस संस्था का एक केंद्र दिल्ली में भी है, जहां यह इसी प्रकार दिव्यांग बच्चो की मदद में है।
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डॉ. उमा तुली को यह संस्था का निर्माण का विचार 1962 में हुए इंडिया चीन के बीच के हुए युद्ध तथा उसी समय एक एक्सीडेंट के कारण उनके भाई की पैर को काटे जाने से आया था।
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