अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के क़ब्ज़ा होते ही हज़ारों लोग अपनी जान बचाने के लिए हवाईअड्डे की ओर दौड़ पड़े, सोमवार को अमेरिकी वायुसेना का एक विमान वहां से उड़ान भर रहा था और ये लोग देश छोड़ने के लिए इस विमान से चिपके रहने लगे, एयरपोर्ट की हालत हमारे देश की किसी बस स्टेशन जैसी हो गई, यह तक की लोग जैसे हमारे देश में बस में लटक या फिर बस के ऊपर छत पर बैठ के ट्रैवल करते है, ठीक उसी प्रकार वहां पर प्लेन में लटक या फिर उसके ऊपर बैठ के जाने की कोशिश करने लगे।
ये सभी लोग किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान छोड़ना चाहते थे। लेकिन विमान के उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद उसमें से दो लोग नीचे गिर गए और उनकी मौत हो गई।
तालिबानी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने के बाद वहां की संसद भी पहुंच चुके हैं, यह वही संसद है जिसे भारत ने बनवाया था।
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अगर आप हैदराबाद, बैंगलोर, केरल, मुंबई या देश के किसी अन्य शहर या गांव में रहते हैं और आप सोच रहे हैं कि अफगानिस्तान के इस संकट का आपसे कोई लेना-देना नहीं है, तो आप बिल्कुल गलत हैं।
आपके चिंतित होने का कारण यह है कि अब तालिबान आतंकवादी कश्मीर से लगभग 400 किमी दूर हैं। इसे ऐसे यह समझें की अब तालिबान कश्मीर से उतनी ही दूर है, जितनी दिल्ली और शिमला के बीच की दूरी। पाकिस्तान के पेशावर और अफगानिस्तान की राजधानी काबुल को जोड़ने वाली सड़क पर स्थित अफगानिस्तान की तोरखम सीमा चौकी कश्मीर में नियंत्रण रेखा से करीब 400 किलोमीटर दूर है और यह भारत के लिए अच्छी बात नहीं है क्योंकि अब यह तालिबान का प्रभाव है- प्रायोजित आतंकवाद कश्मीर में दिखाई दे सकता है।
1990 के दशक में जब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा था, जिहाद और इस्लाम के नाम पर तालिबान ने पाकिस्तान और उसके आतंकवादी संगठनों की बहुत मदद की थी और कई हमलों में अपने आतंकवादियों को कश्मीर भी भेजा था।
तालिबान की वापसी के साथ, अफगानिस्तान फिर से हिंदू विरोधी और भारत विरोधी ताकतों का केंद्र बन जाएगा। बीस साल पहले, जब तालिबान सरकार अफगानिस्तान में थी, वहां से भारत के खिलाफ कई साजिशें रची गईं, जिनमें सबसे प्रमुख 24 दिसंबर 1999 को कंधार अपहरण की आतंकवादी घटना थी।
इसमें आतंकियों ने नेपाल के काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले आईसी 814 विमान को हाईजैक कर लिया और बदले में मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों को छुड़ाया। इस विमान को कंधार में उतारा गया और तालिबान ने इन आतंकियों को पूरी सुरक्षा दी.
2001 में, तालिबान ने बामयान में सबसे पुरानी और सबसे बड़ी बुद्ध प्रतिमा को भी तोड़ दिया, यानी अफगानिस्तान में तालिबान के शासन की वापसी के बाद फिर से वही क्रुरूता वाली तस्वीरें सामने आ सकती हैं।
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