ग्वालियर न्यूज, ग्वालियर डायरीज: ग्वालियर शहर डेंगू का केंद्र बनाता दिख रहा है, यहां राज्य के किसी भी शहर से अधिक 1500+ डेंगू के मरीज पाए गए है, यह पिछले तीन वर्षो का रिकॉर्ड तोड चुकी है। अभी अक्टूबर महीने ही खत्म हुआ है, नवंबर अब भी बाकी है, ऐसे में डेंगू के मरीजों की संख्या में उछाल कभी भी आ सकती है। पिछले 7 दिनो से रोजाना 50+ नए मरीज की पुष्टि होने से मामलो में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले दिन ही 150 नए सैंपल की जांच की जिसमे 74 लोगों का परिणाम सकारात्मक आया। इनमे से 54 ग्वालियर के है, और सबसे गंभीर बात की इनमे से 32 बच्चे है।
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अगर कुल मामलो पर नजर दौड़ाई जाए तो यह अब 1530 के पर का चुका है, जिनमे से 5 की मौत की खबर है। डेंगू अकेला ग्वालियर वासियों के लिए सिरदर्द नही बना हुआ है, इसी के साथ दूसरे बिमारिया जैसे की वायरल फीवर, मलेरिया इत्यादि बीमारियों ने अस्पताल में मरीजों की लंबी लंबी कतारें लगा दी है। अब हाल यह है की अस्पतालों के बेड पूरी तरह से भर गए है, अगर आपको अस्पताल में भर्ती मिल भी जाती है तो आपको जमीन पर चादर बिछा कर रहना पड़ेगा।
एक नजर मेडिकल शॉप पर
मेडिकल के दुकानों में ग्लूकोज के बॉटल, पैरासिटामोल आईबी की बॉटल, और मलेरिया के समय विशेष रूप से दी जाने वाली सुई फेल्सी गो की डिमांड बढ़ते जा रही है। पहले के तुलना में इनकी दामों में 10-15% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
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क्या कह रहे है दवाई विक्रेता ?
गिरीश अरोरा (अध्यक्ष, ग्वालियर कैमिस्ट एसोसिएशन) ने बताया की कोरोन महामारी से शहर को थोड़ी राहत ही मिली थी की डेंगू ने पूरे शहर को अपने चपेटे में ले लिया, साथ ही डेंगू के मामलो में देखा जा रहा है की इसमें लगभग 60-65% बच्चे ही है। और अगर आप दवाइयों पर नजर डाले तो पाएंगे की दवाई बनाने के लिए उपयोग में आने वाले कच्चे मालों के दामों में बढ़ोतरी देखी गई है, जिससे दवाई बनाना महंगा हो गया है। साथ ही कुछ दवाओ की कमी भी हो गई है जो विशेष कर बच्चो को दी जाती है, हालांकि दवाई बनाने वाली कंपनी को इसकी जानकारी पहुंचा दी गई है।
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