ग्वालियर न्यूज, ग्वालियर डायरीज: कुछ दिन पहले Civic Election में दी जाने वाली आरक्षण के खिलाफ जनहित याचिका ग्वालियर कोर्ट में दायर की गई थी जिस पर प्रदेश की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने इसे चैलेंज करने का मन बना लिया है। यह बात तब सामने आया जब सोमवार के दिन इस जनहित याचिका पर ग्वालियर के हाई कोर्ट पर सुनवाई चल रही थी तभी प्रदेश सरकार की ओर से Adv. ने कहा कि सरकार इस पर 4 हफ्ते अर्थात 1 महीने का समय चाहती है जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया लेकिन 4 हफ्ते के बाद एक स्टेटस रिपोर्ट हाईकोर्ट में दायर करने को कहा है साथ ही इन चार हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट जाने को कहा है।
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सरकार ने क्या कहां?
प्रदेश की सरकार के वकील ओर से हाईकोर्ट में कहा गया कि जनगणना का मुख्य आधार बनाकर ही किसी भी पद को अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित किया जाता है, इसलिए महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष तथा नगर पंचायत अध्यक्षों के पद को अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए आरक्षण करने पर सरकार की ओर से कोई भी त्रुटि नहीं की गई है।
याचिका करने वाले
नगर पालिका अध्यक्ष तथा नगर पंचायत अध्यक्षों के पदों को अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण करने पर, इसके खिलाफ़ जनहित याचिका मानवर्द्धन सिंह तोमर ने दायर की थी जिसमे उनका साथ Adv. अभिषेक सिंह भदौरिया निभा रहे है। इस पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने इस आरक्षण पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब प्रदेश सरकार इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने जा मन बना चुका है।
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