इस बार शहर में नगर निगम को वाटर प्लस का सर्टिफिकेट मिलने में काफी परेशानी आ सकती है और यह भी हो सकता है नही भी मिले, इसके पीछे नगर नियम को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इस बार की जरुरी तैयारी में नगर नियम ने काफी ढील दे रखी है, और स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम कभी भी शहर में Water+ & ODF++ की जांच पड़ताल के लिए आ सकती है। ऐसे में अगर शहर को नगर निगम के धीमी या खराब काम की वजह से Water+ का सर्टिफिकेट नही मिला तब शहर वासियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। वैसे ग्वालियर अभी के समय में ODF++ की कैटेगरी में है और Water+ के लिए दावे करता है।
क्या हैं शहर का हाल ?
ग्वालियर डायरीज की टीम शहर के विभिन्न जलाशयों को नजदीकी से देखा और पाया की शहर की अस्सी प्रतिशत जलाशय की हालत बहुत ही ज्यादा खराब है जिनमे से आधी तो नाली में परिवर्ती हो गई है।
शहर के पांच जलाशय जो इस बार चिन्हित किए गए है
1. कटोराताल
2. जनकताल
3. बैजाताल
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4. लक्ष्मण तलैया
5. सागरताल
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क्या हैं पूरा मामला?
ग्वालियर फिलहाल के लिए ODF++ की कैटेगरी में है और Water+ के लिए दावे करता है इसी कड़ी में स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम शहर में आकर पहले से चिन्हित जलाशयों की जॉच करेगी और देखेगी की क्या ग्वालियर असल में water+ के लिए क्वालीफाई करता है या नही। लेकिन शहर के जलाशयों की हाल देख के लगता नही की यह संभव हो पाएगा ।
कैसे होती है Water+ की सर्वेक्षण?
Water+ की सर्वेक्षण, स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम करती हैं। यह पुण्यथा दो भागो मे किया जाता है , पहली भाग में शहर में मौजूद पांच पहले से चिन्हित जलाशयों की सफाई देखी जाती है साथ ही उसमे मौजूद पानी की क्वालिटी परखी जाति है। इसके बाद आता है दूसरा भाग, इसमें देखा जाता है वो पानी का उपयोग कहा और कैसे हो रहा है, अर्थात् पानी का ठीक तरह से उपयोग तो हो रहा हैं या फिर पानी का दुरुपयोग हो रहा है।
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