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हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने दी लिव इन की इजाजत, जाने क्या है पूरा मामला

हाईकाेर्ट की ग्वालियर बेंच ने लिव-इन रिलेशन अर्थात्‌ एक ऐसी रिलेशन व्यवस्था जिसमें दो लोग जिनका विवाह नहीं हुआ है लेकिन फिर भी एक साथ रहते हैं, ऐसे ही व्यवस्था में रह रहे वीरसिंह और संध्या काे साथ रहने की अनुमति दे दी । दरअसल मुरैना के रहने वाले वीरसिंह ने हाईकोर्ट मे हैबियस कार्पस दायर की थी जिसके तहत किसी ग़ैर-क़ानूनी कारणो से गिरफ़्तार व्यक्ति को रिहाई मिल सकती है, और साथ ही वीरसिंह ने कोर्ट को कहा था कि मैं और संध्या साथ-साथ रह रहे थे लेकिन संध्या के घरवालाें काे इस पर आपत्ति है, इतना ही नहीं बल्कि उसके घरवालाें ने उसे अवैध रूप से अपने कब्जे में कर लिया है, लिहाजा उसे मुक्त कराये जाने की गुज़ारिश की। हम बता दे कि युवती पिछ्ले एक महीने से मुरैना के सुधारगृह में थी।

हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई मे कहा कि वीरसिंह और संध्या दोनों नाबालिग नहीं हैं और अगर आपसी सहमति से दोनों एक साथ रहना चाहते हैं, ताे वह दोनों रह सकते हैं और ऐसा करने से उन दोनों को नहीं राेका जा सकता है। हाईकोर्ट ने रहने की अनुमति तो दे दी लकिन कहानी मे अब भी एक ट्विस्ट है दरअसल रहने की अनुमति के साथ हाईकोर्ट ने यह शर्त भी रखी है की प्रेमी जाेड़ा को निगरानी में रहेगा, जो खुद हाईकोर्ट करेगा। इतना ही नहीं बल्कि युवक को इस बात का सुनिश्चित करना पड़ेगा कि वह युवती को सुखी रखेगा, जिसके लिए अब युवक को एक शपथ पत्र भी हाईकोर्ट मे देना हाेगा कि युवक संध्या काे सुखी से रखेगा।

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हाईकोर्ट रखेगी पूरे मामले पर नजर

 

लीगल ऐड सर्विस के द्वारा पैरालीगल वॉलिंटियर्स की नियुक्ती की जाएगी। जो हर 7 वे दिन युवक और युवती के घर पहुंचेंगे और उनकी स्थिति देखकर, उसके आधार पर रिपोर्ट बनाएंगे तथा रिपोर्ट को महीने के अन्त मे हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा। साथ ही रिपोर्ट के माध्यम से बताया जाएगा कि युवती इस लिव-इन रिलेशनशिप में ठीक से है कि नहीं या फिर उसे किसी बात की परेशानी है। जिसके आधार पर हाईकोर्ट आगे की पृष्ठभूमि तय करेगी।

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