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लैम्ब्डा (C.37) वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता, वैक्सीन भी बेअसर

कोरोना वायरस, आज के समय शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसने इसका नाम नही सुना होगा। अब तो यह विभिन्न प्रकार के वेरिएंट में आने लगे है। आप तो भलीभाती जानते ही होंगे डेल्टा वेरिएंट को, वही वेरिएंट जिसने भारत में दूसरी लहर लाया था , पिछले कुछ दिनों से डेल्टा प्लस वेरिएंट की भी बड़ी चर्चा हो रही है अब इसी कड़ी में लैम्ब्डा नाम भी जुड़ गया है।

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क्या है लैम्ब्डा वेरिएंट ?

कोई भी वायरस लंबे समय तक जिंदा रहने तथा खुद को और भी मजबूत करने के लिए लगातार खुद में बदलाव करता है यह ऐसा अपनी संरचना में बदलाव कर संभव कर पाते है, वायरस के इन्ही बदलाव को म्यूटेशन भी कहा जाता हैं। जब कोई वायरस म्यूटेशन होकर नए रूप में सामने आता है तो उस नए रूप को वायरस का वेरिएंट बोलते है। इसी कड़ी में कोरोना की एक और वेरिएंट है जिसका नाम रखा गया हैं लैम्ब्डा (C.37)।

जाने लैम्ब्डा (C.37) वेरिएंट के बारे में

लैम्ब्डा (C.37) वेरिएंट, यह पहली बार साउथ अमेरिकी कॉन्टिनेंट में पाया गया था। पेरू में दिसम्बर 2020 में इस वायरस की पहचान की गई थी लेकिन पेरू के लोगो में यह वेरिएंट अगस्त से ही मौजूद था। लगभग 85% पेरू के कोविड के मरीज इसी वेरिएंट से ग्रसित हुए है एक वाक्य में कहा जाए तो, यह वेरिएंट साफ तौर पर पेरू में कोरोन महामारी के लिए जिम्मेदार है। मार्च 2021 आते आते इस वेरिएंट ने 25 से ज्यादा देशों में अपने पैर प्रसार दिए थे। इसीलिए इसे “वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट” WHO के द्वारा 14 जून को घोषित किया गया।

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यह इतना खतरनाक क्यों हैं?

वैज्ञानिकों ने यह बताया की यह वेरिएंट अन्य वेरिएंट की तुलना ने जायदा तेजी से फैलता है साथ ही इसपर एंटीबॉडीज का असर कम होता है। वैक्सीन का भी इस वेरिएंट पर कम ही असर होता है।

एशियाई देशों में सिर्फ इजराइल एक ऐसा देश है जिसमे इस वेरिएंट को देखने को मिला , अभी तक दूसरे एशियाई देशों में यह देखने को नही मिला है।

भारत की बात करे तो, यह वेरिएंट बहुत तेज़ी से फैलता है अगर एक बार यह भारत में आ गया तो इसे रोकना नामुमकिन हो जायेगा। साथ ही इस वेरिएंट पर वैक्सीन उतनी इफेक्टिव नही साबित हो रही अर्थात् वैक्सीन भी आपको इस वेरिएंट से बचा नही सकती।

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