ग्वालियर न्यूज, ग्वालियर डायरीज: पिछले कुछ दिनो से सम्राट मिहिर भोज के ऊपर चल रहे विवाद अब भी थमता हुआ नही दिख रहा। इस मामले की सुनवाई अब ग्वालियर हाईकोर्ट में चल रही है, जिसमे बुधवार के दिन क्षत्रिय महासभा ने रखा अपना पक्ष हाई कोर्ट के सामने रखा।
इस पूरे मामले में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा (संयुक्त माेर्चा) की और से साक्ष्य के रूप ने ऐतिहासिक तथ्य पेश किए गए है साथ ही उनका कहना है कि ठहराव प्रस्ताव के दौरान गुर्जर शब्द का प्रयोग कहीं भी नहीं किया गया है लेकिन नगर निगम के अधिकारियों की ओर से बड़ी गड़बड़ की गई है जिसके बाद प्रतिमा पर गुज्जर शब्द अचानक से आ गया, इसे बड़ी साजिश का नाम देते हुए यह भी कहते है की इस विवाद को जान बूझ कर जन्म दिया गया। जिस से भी यह गलती हुई है उसकी विरुद्ध जल्द से जल्द करवाही करनी चाहिए। इस पर गुर्जर समाज की तरफ से साक्ष्य इकठ्ठा की जा रही है।
क्या है अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का साक्ष्य?
- सन् 2006 – 2007 में पुरातत्व सर्वे ऑफ इंडिया मे प्रकाशित की गई थी जिसमे प्रतिहार वंश के बारे में जानकारी दी गई है यह सर्वे राजस्थान पुरातत्व विभाग की ओर से की गई थी।
- साथ ही जालौद किले में पाई जाने वाली शिलालेख में भी दुर्ग में प्रतिहार वंश के शासन की जानकारी मिलती है।
- यहां तक की चित्तौड़गढ़ किले के शिलालेखो में भी प्रतिहार वंश के शासन की जानकारी मिलती है जिसकी पुष्टि आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया करता है।
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