ग्वालियर न्यूज, ग्वालियर डायरीज:
आत्मनिर्भरता की किस्से तो आपने कई सुने होगी लेकिन आज बात करते है उनकी जिन्होंने अपने कमजोरी को ही अपना हतियार बना लिया । दृष्टबाधित सपना और चंद्रा वो दो महिलाए है जिनको उनके खुद के परिवार वाले निशक्त समझते थे । लेकिन इन सब के बावजूद इन दोनो ने कभी हार नही मानी, अपने होसले को कभी कमज़ोर पड़ने नही दिया और कड़ी मेहनत करी, खुद को काबिल बनाया और संगीत में स्नातक की डिग्री हासिल की । लॉकडाउन के वजह से सब कुछ बंद है जिसके कारणवश दोनो ने ऑनलाइन क्लास अब शुरू की थी, जिससे वो अपने परिवार का पेट पाल रही है।
क्या है पूरी कहानी ?

दरअसल मुरार के बंशीपुरा में रहने वाली सपना शर्मा अपने बचपन के दिनों से ही दृष्टिबाधित है। सपना की शादी मुरार के रहने वाले राज से हुए, लेकिन शादी के बाद भी उनके ऊपर पढ़ाई का जुनून इस कदर था की सपना ने शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई जारी रखी तथा संगीत के क्षेत्र से बैचलर की डिग्री हासिल की, वो वहा पर भी नही रुकी तथा आगे एमए की भी पढ़े शुरू कर चुकी है। कोविड़ के चलते उनकी पति की चली गई, जिसके वजह से घर का खर्च भी नही चल पा रहा था , उस वक्त सपना ने संगीत की शिक्षा देना शुरू किया, जिसमे उन्होंने ऑनलाइन प्लेफ्रम का भी जमकर इस्तेमाल किया। उनके कुल 12 स्टूडेंट्स है जो उनसे संगीत सिख रहे है। संगीत में बैचलर की डिग्री होने के कारण उन्हें कोई परेशानी भी नही हो रही है और वो अपने स्टूडेंट्स को अच्छी तरह पढ़ा भी पा रही है।

फूलबाग के पास वाले मरी माता मंदिर के पास किराए की मकान में रहे ने वाली चंद्रा जाटव की भी तकरीबन एक ही कहानी है वो अपने पति पान सिंह के साथ रहती है। वो भी बचपन से ही दृष्टिबाधित है लेकिन तब भी उन्होंने अपने हौसले को कभी टूटने नही दिया, उन्होंने संगीत के क्षेत्र में एमए की डिग्री प्राप्त की तथा एक निजी स्कूल में संगीत की टीचर है । कोविड महामारी के दौरान उनकी नौकरी चली गई साथ ही उनके पति एक मजदूर है और पिछले डेढ़ सालो में उनको भी कोई काम नही मिल पाया, जिससे घर चलाना मुश्किल हो गया था। चंद्रा ने हार नही मानी और अपने घर पर ही संगीत की ट्यूशन देना स्टार्ट किया। परिणाम भी अच्छे आए और वर्तमान में उनके पास कुल 8 स्टूडेंट्स पढ़ने आते है। चंद्रा ने बताया की वो फिलहाल एक स्मार्टफोन के लिए पैसे जुटा रही है ताकि वो ऑनलाइन भी बच्चो को पढ़ा सके।
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