ग्वालियर न्यूज, ग्वालियर डायरीज: दतिया जिले के सिंध नदी पर कुछ वर्षो से प्रशासन डैम बनाने के लिए सोच रही थी, इस डैम की क्षमता 246 एमसीएम रखने का प्रस्ताव रखा गया था। इस डैम को 2018 में मां रतनगढ़ परियोजना के अंतर्गत डांगडिरोली में बनाने का लक्ष्य रखा गया था और अगर यह डैम बन कर तैयार हो गया होता तो कुछ दिन पहले आई बाढ़ टल सकती थी और बहुत हद तक बाढ़ के पानी पर काबू पहले ही की जा सकती थी। अगर यह डैम बन गया होता तो सिंध नदी में आए अत्यधिक जल जो बाद में बाढ़ का कारण बना, उस जल को किसी और दिशा में आसानी से डायवर्ट किया जा सकता था जिससे बाढ़ का पानी का वेग कम हो जाता, और सिंध नदी पर बने 3 पूल टूटने से बच जाती।
साथ ही लगभग 2 हजार हेक्टर खेतो में उपज रही फसल, 500 से अधिक पशु और बाढ़ पीड़ितों की संपति को बर्बाद होने से बचाया जा सकता था।
डैम के लिए 2018 के अक्टूबर महीने में ही टेंडर हो गए थे, जिसमे इसकी लागत ₹370 करोड़ रुपए आंकी गई थी, सब कुछ सही था सिवाय असली काम के। टेंडर होने के बाद भी काम शुरू नही हुआ।
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प्रशासन की ओर से यह दावा किया गया है की डैम बनाने के लिए जमीन का मामला अभी वन विभाग के साथ उलझा हुआ है। इस डैम को ग्वालियर, दतिया, और भिंड जिलेे में स्थित 250 से अधिक गांव के लिए विशेष रूप से सिंचाई के लिए बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
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